
सागर। वंदे भारत लाईव टीवी न्यूज रिपोर्टर सुशील द्विवेदी। काकागंज वार्ड के कबीर साहेब मंदिर में महंत श्री पूरन दास कबीर पंथी साहेब जी द्वारा पुष्पांजलि अर्पित की गई और महंत द्वारा कहा गया कि कबीर साहब जी को मानने की नहीं बल्कि जानने की जरूरत है, समिति के अध्यक्ष समाजसेवी इंजी. आकाश कोरी द्वारा ने पुष्पांजलि अर्पित करते हुए उनके चरणों में नमन करके कहा कि कबीर दास जी का अवतरण ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को 1455 में हुआ था कबीर दास जी पुस्तकों से ज्ञान प्राप्ति की अपेक्षा अनुभव पर आधारित ज्ञान को ये श्रेष्ठ मानते थे.ईश्वर की सर्व व्यापकता और राम-रहीम की एकता के महत्त्व को बता कर इन्होने समाज में व्याप्त भेद-भाव को मिटाने प्रयास किया.यह मनुष्य मात्र को एक समान मानते थे.वस्तुतः कबीर के धार्मिक विचार बहुत ही उदार थे.इन्होने विभिन्न मतों की कुरीतियों संकीर्णताओं का डट कर विरोध किया और उनके श्रेयस्कर तत्वों को ही ग्रहण किया।
इनके प्रमुख दोहे में
दुःख में सुमिरन सब करें,सुख में करे न कोय.
जो सुख में सुमिरन करे,तो दुःख काहे होय..
अति का भला न बरसना,अति की भली न धुप.
अति का भला न बोलना,अति की भली न चूक..
प्रमुख रचनाओं मे साखी सबद और रमेनी है।
मानव जीवन को सुन्दर,सुखद और समृद्ध बनाने के लिए कबीर द्वारा दिखाया गया मानव-धर्म अपनाना ही एकमात्र विकल्प है- सन्त कबीर की वाणी आज भी ज्यों की त्यों जनोपयोगी है.तमाम तरह की समस्याएं ,झंझट-झगडे ,भेद-भाव ,ऊँच-नीच का टकराव ,मानव द्वारा मानव का शोषण आदि अनेकों समस्याओं का हल कबीर द्वारा बताये गए धर्म-मार्ग में है।इस अवसर पर समिति के सदस्यों मे सचिन पंथी, सुमित कोरी ,अज्जू कोरी, ध्रुव कोरी,राज कोरी, अभिरल कोरी, हरिश कोरी, शुभम पटेल, दीपेश पटेल, चंदन रैकवार आदि उपस्थित रहे हैं।